उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार भर्तियों में पारदर्शिता लाने को लेकर कड़े कदम उठा रही है। वहीं ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार युवा परीक्षा में भाग लेकर काबिल बन सकें इसको लेकर भी निःशुल्क फॉर्म भरने की भी सहूलियत देकर सरकार युवाओं के चेहरे पर मुस्कान लाई है।बावजूद इसके अपनी सियासी जमीन तैयार करने के लिए भर्ती प्रक्रिया को लेकर लोग सड़कों पर हैं।
सरकार के नकल विरोधी कानून और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कोशिशों का ही नतीजा है कि प्रदेश के प्रतिभावान विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी में भर्ती होने के अवसर मिल पा रहे हैं लेकिन जिसको विरोध करना है वह विरोध ही करेंगे ।
विधायक, सांसद बनने और अपनी सियासत चमकाने के लिए उत्तराखंड और उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के साथ साजिश हो रही है ।
ऐसे ही एक युवा नेता अपने मन में उत्तराखंड का केजरीवाल बनने की चाह लिए अन्ना हजारे के दरबार तक पहुंच गए।
ये वही शख्स है जो भर्ती प्रक्रिया को लेकर सरकार की नियत पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। बहरहाल उत्तराखंड का युवा बेहद समझदार है और सरकार के प्रयासों से मुतमइन भी।
सरकारी नौकरी में पारदर्शी भर्ती पुष्कर सरकार की प्राथमिकता, नकल विरोधी कानून पर सवाल उठाने से किसको फायदा ?
